कली और फूल
कली जब तक
कली रहती है
वह नारी बनी रहती है।
लेकिन फूल खिलते ही
पुरुष बन जाता है ।
होते यदि
कामता प्रसाद गुरु,
ज़िन्दा ,तो उनसे पूछती ,
कली और फूल का.
यह व्याकरण कैसा ?
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मेरे मनोभावों की अभिव्यक्ति..
2 comments:
सच में ??....सही कहा आपने...पुनर्व्याख्या की जरुरत है..
भीतर तक झंकझोरती और अनेक प्रश्न उठाती रचना. बधाई.
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