Tumhari virasat
तुम्हारी विरासत
बची हुई जिंदगी का
एक टुकड़ा है
मेरे पास।
इसे मैं अंधेरे से
छीन कर लाई हूं।
देर तो हो गई है,
सन्नाटा कितना ही
भयानक हो
उसमें भटकते
स्मृतियों के पदचाप,
अपनी आहट से
हमें जगा देते हैं।
इसमें फूटेंगी
सुबह की किरने।
मुस्कराती कोंपलों से
यह हरा हो जायेगा।
थोड़ी देर को ही सही,
यह फूल अक्षत रोली की तरह,
खिल जाएगा।
मैं तुम्हें दूंगी
जिंदगी का यह टुकड़ा,
जो मैं अंधेरे से
बचा कर लाई हूं।
यह तुम्हारी
विरासत है,
और तुम्हारी यात्रा का
रश्मि बिन्दु भी।
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5 comments:
nutan bhavabhivyaki kee sarthak aur anubhuti kee bahut sunder kavita.
bahut khoobsurat
बहुत बढ़िया !
बहुत अच्छी कविता।
यह तुम्हारी
विरासत है,
और तुम्हारी यात्रा का
रश्मि बिन्दु भी।
-बहुत गहरी बात कही है!!
बेहद सुंदर!
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